इजाज़त है तो कहूं कुछफूल की पंखुड़िय़ांतेरे सुर्ख होठों परकाली घनघोर घटा तेरी जुलफ परइजाज़त है तो कहूं कुछहुस्न -ए- आफताब पर जिस्म -ए- गुलाब परहवाओं की शरारत परतेरी अदाओं की नजाकत परइजाज़त है तो कहूं कुछ..."चौहान"
No comments:
Post a Comment