कुछ होश भी है ऐ दस्त-ए-जुनूँ देख क्या हुआ
दामन तक आ गया है गरेबाँ फटा हुआ
अल्लाह रे ये कमसिनी इतना नहीं ख़्याल
मय्यत पे आके पूछते हैं इनको क्या हुआ
...
(दस्त-ए-जुनूँ = पागलपन का हाथ), (गरेबाँ = गरिबान/ कंठी)
(कमसिनी = बचपना)
(कॉपी जी)
दामन तक आ गया है गरेबाँ फटा हुआ
अल्लाह रे ये कमसिनी इतना नहीं ख़्याल
मय्यत पे आके पूछते हैं इनको क्या हुआ
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(दस्त-ए-जुनूँ = पागलपन का हाथ), (गरेबाँ = गरिबान/ कंठी)
(कमसिनी = बचपना)
(कॉपी जी)
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