ग़ज़ल
टपकता है निगाहों से, वो लहू कहां अब ।
दूसरे की लगे अपनी, आबरू कहां अब ।
देख ले एक नजर उसको ,है दुआ खुदा ये,
देख ले एक नजर उसको ,है दुआ खुदा ये,
ज़िन्दगी भर मिले वो ये, आरजू कहां अब ।
अश्क हूं मैं जुदा होना,लेख में लिखा है,
अश्क हूं मैं जुदा होना,लेख में लिखा है,
सोचता हूं, नज़र से गिर कर गिरूं,कहां अब ।
तिश्नगी में नदां’ जाहिल, पी गया खुदी को,
तिश्नगी में नदां’ जाहिल, पी गया खुदी को,
हो गया है समुंदर दिल, मैं रखूं कहां अब ।
लापता है महोब्त फिर, ए कलम ग़ज़ल से,
लापता है महोब्त फिर, ए कलम ग़ज़ल से,
अक्षरों की शिनाख्त से, मैं मिलू कहां अब ।
"चौहान"
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